हड्डियों का दाम

चौक पर इक भीड़ थी,ये देखने,कि दिल्ली से,गाड़ियों में बैठकर,कुछ गिद्ध आए हैं।जो अपने साथ,मानवता की सड़न के,बुनियादी प्रश्न लाए हैं। उन गिद्धों नें अपने ऊंचे दफ्तरों से,ये सूंघ लिया ,कि किसी अभागी की अस्मत,कोई नरभक्षी लूट रहा है।इस समाज का ढांचा,फिर से टूट रहा है।पर गिद्धों ने इंतज़ार किया,कि जब तक गोश्त सड़ने नाContinue reading “हड्डियों का दाम”