Are the days actually that sunny or is it an illusion that traps us. The article is an attempt to do a reality check.
Monthly Archives: December 2016
…….मुलाकात हुई थी
ज़्यादा वक़्त नहीं बीता है, उस शाम को जब तुमसे मुलाकात हुई थी । तुम्हारे आने से पहले , सब वैसा ही था जैसा हुआ करता है, पुराना मटमैला बेरंग बेस्वाद। न कुछ ख़ास था न होने की आस थी , ज़िन्दगी की कश्ती मंज़िल से दूर मनहूसियत के पास थी। अचानक कुछ बदला, डूबता सूरज आफताबContinue reading “…….मुलाकात हुई थी”
मैं चिराग रहूँगा
ये जो धीरे से छा गयी है , बिन बुलाये आ गयी है । सारे बदन को कस लिया है जिसने , अरमानों को मेरे डंस लिया है जिसने । सोचा था बस दिन भर की बात है, ये भी नसीब में है ,इस से पल भर का साथ है । पर कहाँ .. ये तोContinue reading “मैं चिराग रहूँगा”