सपनों का सच

​रक्त पिपाशू मायावी से ,  सपने मुझे डराते हैं। लहू लुहान अंतर को करके,  क्रंदन मुझे सुनाते हैं।  मैं यूँ हीं सहमा सा बैठा,  उनसे भागा जाता हूँ। ये बातें भयभीत हैं करती,  सो मैं तुम्हें बताता हूँ। रात्रि कार छुप जाता जब, तब अन्धकार बढ़ जाता है।  ऐसी स्याह सी रातों में, डर औरContinue reading “सपनों का सच”